The Basic Principles Of naat lyrics in urdu
The Basic Principles Of naat lyrics in urdu
Blog Article
naat lyrics in english translation
बच्चों का दुख है सीने में, फ़िक्र-ए-हरम भी है
देखूँ तो देखे जाऊँ बराबर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है वो सोने से कंकर, वो चाँदी सी मिट्टी नज़र में बसाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है जो पूछा नबी ने कि कुछ घर भी छोड़ा तो सिद्दीक़-ए-अकबर के होंटों पे आया वहाँ माल-ओ-दौलत की क्या है हक़ीक़त जहाँ जाँ लुटाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है जिहाद-ए-मोहब्बत की आवाज़ गूँजी कहा हन्ज़ला ने ये दुल्हन से अपनी इजाज़त अगर हो तो जाम-ए-शहादत लबों से लगाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है सितारों से ये चाँद कहता है हर-दम तुम्हें क्या बताऊँ वो टुकड़ों का 'आलम इशारे में आक़ा के इतना मज़ा था कि फिर टूट जाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है वो नन्हा सा असग़र, वो एड़ी रगड़ कर यही कह रहा था वो ख़ैमे में रो कर ऐ बाबा !
अल्लाह अल्लाह ! हुज़ूर की बातें, मरहबा ! रंग-ओ-नूर की बातें
His companions would like to praise his dignity through the lifetime of the Prophet (SAWS). It experienced presently achieved the point the Prophet himself had questioned his beloved followers to praise him with moderation.
ادب اردو خبریں اردو مضامین اردو کہانیاں اردو کیپشنز اسلام اقوال زریں تعلیم سرکاری ادارے سیاحت شاعری صحت فیشن متفرق مہندی ڈیزائن نادرا نعت شریف ٹیکنالوجی پکوان پی ٹی اے کاروبار کھیل
नबी का लब पर जो ज़िक्र है बे-मिसाल आया, कमाल आया !
ऐ सबा ! मुस्तफ़ा से कह देना, ग़म के मारे सलाम कहते हैं
●पढ़ मोहम्मद पर दुरूद ए पाक-शबे मेराज शायरी شبِ معراج شاعری
मैं तूफ़ान के दरमियां हूँ और आंधी चल रही है
कृपया मेरी कश्ती को दूसरी तरफ़ पहुंचाएं
In the commencement of language, poetry is the initial step. Men and women communicate by means of poetry. Naat would be the time period of poetry in which poet praise the Holy Prophet Muhammad (P.
نعت وہ نظم ہے جو رسولِ مقبولﷺ کی شان میں کہی جائے۔ پرانے زمانے میں مثنویات کا آغاز عموماً حمد سے ہوا کرتا تھا اور حمد کے بعد مناجات کہی جاتی تھی لیکن آگے چل کر نظم نے ایک مستقل صنف سخن کی حیثیت اختیار کرلی اور پھر مثنویات میں نظم سے ہی آغاز کیا جانے لگا۔ ہماری شاعری میں اس صنف نے خوب رواج پایا۔عربی شاعری میں سب سے پہلے نعت خواں حسان بن ثابت ہیں۔اردو میں اعلیٰ حضرت امام احمد رضا خان بریلوی نے بہت سی مشہور نعتیں لکھی ہیں اور دور حاضر میں بہت سے شعراء اسلام اس صنف میں طبع آزمائی کر رہے ہیں۔
دس لاکھ میں کونسی استعمال شدہ گاڑی آپکا انتخاب ہونی چاہیے